पुणे। महाराष्ट्र के पुणे शहर में एक साधारण पृष्ठभूमि से आया एक युवक आज सोशल मीडिया पर अपनी अलग पहचान बना चुका है। अनिल सोनकर, जो उत्तर प्रदेश/मध्य प्रदेश के एक छोटे से गाँव का रहने वाला है, आज लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा बन गया है। पेशे से वह एक पेंटर (रंगाई-पुताई का काम करने वाला) है, लेकिन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, खासकर फेसबुक और इंस्टाग्राम पर, उसने अपना अलग मुकाम हासिल किया है। उसकी फॉलोअर्स की संख्या 5000 तक पहुँच चुकी है, और वह हर जगह जाकर वीडियो बनाता है, अपनी ज़िंदगी के अनुभव साझा करता है, और फिटनेस को लेकर लोगों को जागरूक करता है।
गाँव से पुणे तक का सफर
अनिल सोनकर का जन्म और पालन-पोषण एक छोटे से गाँव में हुआ। सीमित संसाधनों के बीच पला-बढ़ा यह युवक शुरुआत से ही मेहनती और जिज्ञासु स्वभाव का था। गाँव में रहते हुए उसने अपने परिवार की मदद की और छोटे-मोटे काम किए। लेकिन उसकी आँखों में कुछ बड़ा करने का सपना था। इस सपने को पूरा करने के लिए वह काम की तलाश में पुणे आया।
पुणे जैसे बड़े शहर में शुरुआत आसान नहीं थी। अनिल ने पहले पेंटर का काम शुरू किया। दिन भर मेहनत कर शाम को थककर लौटता, फिर भी अपने मोबाइल से वीडियो बनाता। शुरुआत में उसे यह सब समझ नहीं आता था, लेकिन धीरे-धीरे उसने सोशल मीडिया के नियम, ट्रेंड्स और दर्शकों की पसंद को समझना शुरू किया। आज वह वीडियो एडिट करना, आकर्षक कंटेंट बनाना, कैप्शन लिखना, और नियमित पोस्टिंग करना अच्छी तरह जानता है।

सोशल मीडिया पर अलग पहचान
अनिल ने शुरुआत में छोटे-छोटे वीडियो बनाए — अपनी रोजमर्रा की जिंदगी, काम की झलक, शहर की सड़कों पर घूमते हुए, स्थानीय जगहों का भ्रमण, और फिटनेस से जुड़े टिप्स। शुरुआत में दर्शकों की संख्या कम थी, लेकिन धीरे-धीरे लोग उसके प्रामाणिक और सरल अंदाज को पसंद करने लगे। कोई दिखावा नहीं, कोई बनावट नहीं — बस एक आम इंसान की मेहनत, संघर्ष और सकारात्मकता।
आज उसके फेसबुक पर 5000 से ज्यादा फॉलोअर्स हैं। उसके वीडियो पर सैकड़ों लाइक्स और कमेंट्स आते हैं। कई लोग उससे फिटनेस टिप्स पूछते हैं, कुछ लोग पूछते हैं कि पेंटर का काम करते हुए समय कैसे निकाला जाए, और कई लोग सिर्फ उसकी मुस्कान और ईमानदारी के लिए उसे फॉलो करते हैं।

फिटनेस का जुनून
पेंटर का काम शारीरिक रूप से थकाने वाला होता है। दिन भर रंग, पेंट और धूल के बीच काम करने के बाद भी अनिल फिटनेस के लिए समय निकालता है। वह साधारण व्यायाम करता है, दौड़ लगाता है, और घर पर ही वर्कआउट करता है। उसका मानना है कि व्यस्त जीवन में भी स्वास्थ्य का ध्यान रखना जरूरी है। वह अपने वीडियो में सही खानपान, व्यायाम की विधि और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े सुझाव देता है।
उसके फॉलोअर्स कहते हैं कि अनिल की फिटनेस यात्रा प्रेरणादायक है क्योंकि वह किसी बड़े जिम में जाकर या महंगे उपकरणों के बिना, अपने अनुशासन से स्वस्थ जीवन जी रहा है।
रील और व्लॉग बनाकर हर जगह पहुँच
अनिल सिर्फ अपने काम या फिटनेस तक ही सीमित नहीं है। वह यात्रा करने का भी शौक रखता है। छुट्टी मिलते ही वह नए स्थानों की खोज करता है और वहाँ जाकर वीडियो बनाता है। कभी शहर के पार्क में, कभी नदी किनारे, कभी किसी धार्मिक स्थल पर — वह हर जगह जाकर अपने अनुभव साझा करता है। उसके व्लॉग में न सिर्फ मनोरंजन है, बल्कि शहर की संस्कृति, लोगों से बातचीत, स्थानीय भोजन, और रोज़मर्रा की चुनौतियों की झलक भी मिलती है।
वह अपने वीडियो में यह दिखाता है कि आम आदमी भी अपनी दुनिया बना सकता है। कोई बड़ा ब्रांड नहीं, कोई महंगी शूटिंग नहीं — बस जुनून और निरंतरता हो तो सोशल मीडिया पर भी पहचान बनाई जा सकती है।
परिवार और गाँव से जुड़ाव
अनिल आज भले ही पुणे में काम कर रहा हो, लेकिन वह अपने गाँव से जुड़ा हुआ है। वह समय-समय पर अपने परिवार को वीडियो कॉल करता है, त्योहारों पर घर जाता है और गाँव के बच्चों के साथ खेलता है। कई बार वह अपने वीडियो में गाँव के अनुभव भी साझा करता है — जैसे खेतों में काम करना, पुराने दोस्तों के साथ समय बिताना, और त्योहारों की रौनक।
उसका कहना है, “मैं जहाँ भी हूँ, मेरे गाँव की खुशबू और मेरे लोगों की दुआ मेरे साथ है। अगर मैं आज यहाँ तक पहुँचा हूँ तो उसका पूरा श्रेय अपने परिवार और गाँव वालों को देता हूँ।”
प्रेरणा का स्रोत
अनिल की सफलता की सबसे बड़ी वजह उसकी सादगी है। वह खुद को कभी ‘सेलिब्रिटी’ नहीं कहता। उसका कहना है कि वह सिर्फ वही दिखाना चाहता है जो सच है। यही वजह है कि उसके वीडियो में दिखावा नहीं होता और दर्शक उसे दिल से अपनाते हैं।
वह युवाओं से कहता है:
- “अपना सपना देखो और उसके लिए काम करो।”
- “छोटे काम से शुरुआत करने में शर्म मत करो।”
- “रोज़ थोड़ा समय अपने लिए निकालो।”
- “सच्चाई और मेहनत कभी बेकार नहीं जाती।”
भविष्य की योजनाएँ
अनिल का सपना है कि वह अपने सोशल मीडिया चैनल को और बेहतर बनाए। वह भविष्य में व्लॉग्स की श्रृंखला बनाना चाहता है, जहाँ वह विभिन्न पेशों के लोगों से बातचीत करेगा, फिटनेस की नई विधियाँ बताएगा और मानसिक स्वास्थ्य पर जागरूकता फैलाएगा। साथ ही वह चाहता है कि गाँव के बच्चों को डिजिटल मीडिया के बारे में सिखाकर उन्हें भी अवसर मिलें।
वह यह भी कहता है कि वह अपनी कमाई का एक हिस्सा शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़े कामों में लगाना चाहता है ताकि अन्य युवाओं को भी आगे बढ़ने में मदद मिल सके।

निष्कर्ष
अनिल सोनकर की कहानी यह साबित करती है कि अगर जज़्बा हो तो परिस्थितियाँ मायने नहीं रखतीं। एक गाँव का साधारण लड़का, जो पेंटर का काम करता है, अपनी मेहनत, लगन और सकारात्मक सोच से सोशल मीडिया पर प्रेरणा बन सकता है। आज उसके फॉलोअर्स 5000 से ज्यादा हैं, और उसका हर वीडियो यह संदेश देता है कि सपना बड़ा हो तो रास्ता खुद बन जाता है।
अनिल का सफर अभी शुरू हुआ है — और वह आने वाले समय में और भी कई युवाओं के लिए मिसाल बनेगा। उसकी कहानी हमें याद दिलाती है कि साधारण जीवन जीते हुए भी असाधारण मुकाम हासिल किया जा सकता है।
काफी प्रेरणा दायक कहानी है