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11 Sep 2025, Thu

बिहार महाभारत 2025: सत्ता की गाथा या जनता की लड़ाई—राजनीतिक रणभूमि में गूंजता नया युग”

पटना से आपकी जुबानी—
बिहार की राजनीतिक धरती पर कुछ ऐसा फूट पड़ा है—‘महारथियों’ की गूँज, ‘महाभारत’ की गाथा। 2025 की बिहार विधानसभा चुनावी लड़ाई अब केवल मत-तोड़ नहीं रही—यह एक ऐसा संघर्ष बन चुका है, जहाँ हर दल, हर नेता, हर विचारधारा एक-दूसरे के सामने खड़ी है।

1. गठबंधन की गुत्थी और सीट-बँटवारा:

एनडीए की राजनीति अब सिर्फ बीजेपी और JDU तक सीमित नहीं रही। रामविलास पासवान की LJP(फिर से सक्रिय), हम (जितन राम मांझी), उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी शामिल हो गई हैं। सभी दल अपनी-अपनी हिस्सेदारी चाहते हैं, जिससे गठबंधन में दरार के संकेत सामने आ रहे हैं—यह ‘महाभारत’ उस समय की याद दिलाती है जब Pandav और Karn बीच में खड़े थे।

2. VIP नेता मुकेश सहनी का ‘पांडव-कर्ण’ प्रतीक:

VIP प्रमुख मुकेश सहनी महागठबंधन से दूरी बना चुके हैं और NDA की तरफ संभावित झुकाव बना रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों ने इसे ‘कर्ण का कदम’ कहकर राजनीति में एक नया मोड़ बताया है—यह असल में ‘महाभारत’ का संदर्भ नहीं, बल्कि नये समीकरणों का संकेत है।

3. यादव परिवार में तनातनी:

Tej Pratap Yadav ने अपने मंच से यह घोषणा की कि चरणबद्ध राजनीति नहीं बल्कि जमीन पर सादगी होगी—मंच पर कुर्सी नहीं होगी, नेता जमीन पर बैठकर जनता से संवाद करेंगे। यह राजनीतिक संदेश जितना सादा था, उतना ही कहता है कि इस ‘महाभारत’ में पारिवारिक मतभेद मजबूती की ओर ले जा सकते हैं।

4. आंतरिक कलह और पार्टी एकता का संकट:

बीजेपी में गुटबाजी सार्वजनिक मुद्दा बन चुकी है—सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा से जुड़े गुटों के बीच मतभेद उभरकर सामने आए हैं। अमित शाह ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को साफ निर्देश दिया है कि आंतरिक कलह समाप्त होनी चाहिए—यह भी ‘महाभारत’ जैसा घात-प्रतिघात वाला रणक्षेत्र है, जहाँ एकजुटता ही जीत की कुंजी है।

5. HAM का ‘महाकाव्य’ प्रस्ताव सम्मेलन:

दिल्ली में HAM (हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा) के राष्ट्रीय सम्मेलन में 10 प्रस्ताव पारित हुए—दलितों के लिए जमीन योजना, शिक्षा सुधार, संगठनात्मक विस्तार… ये प्रस्ताव अखिल भारतीय स्तर पर चुनावी लड़ाई में सबकी पकड़ मजबूत करना चाहते हैं। यह पहल ‘महाभारत’ नहीं, बल्कि महाकाव्य की तैयारियों जैसा है।

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