मध्यप्रदेश सरकार ने लिया ₹4,000 करोड़ का ऋण, जानिए कारण और असर
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान ₹4,000 करोड़ का अतिरिक्त ऋण लेने की घोषणा की है। यह ऋण तीन किश्तों में लिया गया है:
- दो किश्तें ₹1,500 करोड़ की
- एक किश्त ₹1,000 करोड़ की
इससे पहले, 26 अगस्त को सरकार ने ₹4,800 करोड़ का ऋण लिया था। अब राज्य का कुल बकाया ऋण ₹4.53 लाख करोड़ से ऊपर पहुँच गया है।
ऋण का उद्देश्य
सरकार का कहना है कि यह ऋण राज्य की वित्तीय सीमा के भीतर लिया गया है और इसका इस्तेमाल निम्नलिखित के लिए किया जाएगा:
- लाड़ली बहना योजना की किस्तें
- सेवा पर्व के कार्यक्रम
- विभिन्न बड़ी परियोजनाओं और योजनाओं के लिए
वित्त वर्ष 2023-24 में राज्य सरकार का राजस्व अधिशेष ₹12,487.78 करोड़ था, जबकि वित्त वर्ष 2024-25 के संशोधित अनुमान के अनुसार, प्रदेश की आमदनी ₹2,62,009.01 करोड़ और खर्च ₹2,60,983.10 करोड़ होने का अनुमान है।
विपक्ष की चिंता
इस ऋण के बढ़ते स्तर पर विपक्ष ने चिंता जताई है।
- कांग्रेस नेता जितू पटवारी ने कहा कि यह ऋण राज्य की वित्तीय अनुशासनहीनता को दर्शाता है।
- उनका आरोप है कि सरकार सिर्फ ब्याज चुकाने के लिए ऋण ले रही है।
- उन्होंने सवाल उठाया कि यह ऋण आखिर कौन चुकाएगा और जनता पर इसका क्या असर होगा।
वित्तीय प्रबंधन पर ध्यान
ऋण लेने के बाद सरकार ने आगामी योजनाओं और परियोजनाओं के लिए संसाधनों की व्यवस्था की है, लेकिन इसके साथ ही ऋण प्रबंधन और पारदर्शिता की दिशा में स्पष्टता बनाए रखना जरूरी है।
निष्कर्ष
मध्यप्रदेश सरकार का यह कदम योजनाओं और विकास कार्यों के लिए वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए है, लेकिन ऋण का लगातार बढ़ना और इसके प्रभाव को जनता और विपक्ष भी लगातार देख रहे हैं।