वृंदावन में अनिरुद्धाचार्य से मिलीं साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लिव-इन रिलेशनशिप पर फिर जताई आपत्ति
मध्यप्रदेश की राजनीति और धार्मिक जगत की चर्चित हस्ती साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने एक बार फिर लिव-इन रिलेशनशिप के खिलाफ अपना पक्ष स्पष्ट किया है। हाल ही में वे वृंदावन पहुंचीं, जहाँ उन्होंने प्रसिद्ध कथावाचक अनिरुद्धाचार्य महाराज से मुलाकात की। इस दौरान दोनों ने सामाजिक और धार्मिक विषयों पर बातचीत की, जिसमें लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर अनिरुद्धाचार्य के विचारों का समर्थन करते हुए साध्वी प्रज्ञा ने इसे सनातन धर्म के खिलाफ बताया।
वृंदावन की यात्रा और मुलाकात
साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से पूर्व सांसद रह चुकी हैं और अपने तीखे वक्तव्यों के लिए हमेशा चर्चा में रहती हैं। वे वृंदावन पहुँचीं और गौरी गोपाल आश्रम में कथावाचक अनिरुद्धाचार्य से भेंट की। दोनों की इस मुलाकात की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं। इस दौरान उन्होंने धार्मिक परंपराओं, सामाजिक मूल्यों और युवाओं की गिरती दिशा को लेकर चर्चा की।
कथावाचक अनिरुद्धाचार्य ने पहले ही लिव-इन रिलेशनशिप पर विरोध जताया था। उन्होंने कहा था कि यह संबंध भारतीय संस्कृति और परिवार व्यवस्था के लिए चुनौती बन रहे हैं। साध्वी प्रज्ञा ने इस विचार का समर्थन करते हुए कहा कि परिवार और समाज की मर्यादा बनाए रखना जरूरी है, अन्यथा आने वाली पीढ़ियाँ दिशाहीन हो जाएँगी।
लिव-इन रिलेशनशिप पर साध्वी का रुख
इस मुलाकात के दौरान साध्वी प्रज्ञा ने कहा,
“चाहे कोर्ट कुछ भी कहे, लेकिन सनातन धर्म में लिव-इन संबंध को स्वीकार नहीं किया जा सकता। समाज की रीढ़ परिवार है, और परिवार तभी मजबूत रहेगा जब मर्यादा और अनुशासन बना रहेगा।”
उन्होंने आगे कहा कि आजकल कई युवाओं को आधुनिकता के नाम पर परंपराओं से दूर किया जा रहा है। लेकिन हर माता-पिता का कर्तव्य है कि बच्चों को सही राह दिखाएँ। साध्वी ने विशेष रूप से कहा,
“माताओं को बेटियों को मर्यादा सिखानी चाहिए और पिताओं को बेटों को अनुशासन का महत्व समझाना चाहिए। बेटा-बेटी दोनों पर समान नियम लागू होने चाहिए ताकि परिवार में संतुलन बना रहे।”
उनके अनुसार, समाज में मूल्य आधारित जीवन ही आने वाली पीढ़ी को मजबूत करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि धार्मिक और सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ा समाज ही नैतिकता और परिवार की पहचान बना सकता है।
अनिरुद्धाचार्य का समर्थन और सामाजिक संदेश
कथावाचक अनिरुद्धाचार्य महाराज ने भी लिव-इन रिलेशनशिप पर अपनी चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि यह चलन भारतीय परंपरा के खिलाफ है और इससे सामाजिक बंधनों में ढील आती है। उनका मानना है कि रिश्तों को जिम्मेदारी, विश्वास और पारिवारिक सम्मान पर आधारित होना चाहिए। उन्होंने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि धर्म और संस्कार ही जीवन का मार्गदर्शन कर सकते हैं।
साध्वी प्रज्ञा ने अनिरुद्धाचार्य के विचारों का समर्थन करते हुए कहा कि धार्मिक संस्थानों को भी समाज में सही दिशा देने की भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे अपनी संस्कृति, परंपरा और परिवार के महत्व को समझें और आधुनिकता के नाम पर मूल्यों को न छोड़ें।
समाज में प्रतिक्रियाएँ
इस मुलाकात और साध्वी प्रज्ञा के बयान के बाद सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई है। कुछ लोग इसे पारिवारिक मूल्यों की रक्षा के लिए जरूरी कदम बता रहे हैं, तो कुछ इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर हमला मान रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह बहस आज के युवाओं के सामने उपस्थित चुनौतियों का प्रतिबिंब है। एक तरफ आधुनिकता, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और करियर का दबाव है, तो दूसरी तरफ परिवार, परंपरा और सामाजिक जिम्मेदारियाँ।
साध्वी प्रज्ञा ने स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य किसी की व्यक्तिगत पसंद पर हमला करना नहीं, बल्कि समाज में गिरते नैतिक स्तर और पारिवारिक संरचना की रक्षा करना है। उनका कहना है कि हर व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए और समाज के हित में सोचकर निर्णय लेना चाहिए।
धार्मिक और सांस्कृतिक आधार पर चर्चा
साध्वी प्रज्ञा ने यह भी कहा कि सनातन धर्म में विवाह को जीवन का पवित्र संस्कार माना गया है। इसमें न केवल दो व्यक्तियों का मिलन होता है, बल्कि दो परिवारों, दो वंशों और दो संस्कृतियों का भी संगम होता है। लिव-इन रिलेशनशिप इस परंपरा से भटकाव है, क्योंकि इसमें जिम्मेदारी, सामाजिक स्वीकार्यता और दीर्घकालिक प्रतिबद्धता का अभाव होता है।
उन्होंने समाज के प्रत्येक वर्ग से अपील की कि वे बच्चों को आधुनिक जीवन शैली अपनाने से पहले इसके प्रभावों को समझाएँ। उनकी दृष्टि में शिक्षा का उद्देश्य केवल नौकरी प्राप्त करना नहीं, बल्कि संस्कार, अनुशासन और परिवार के प्रति जिम्मेदारी का बोध कराना भी है।
आगे की दिशा
साध्वी प्रज्ञा और अनिरुद्धाचार्य की यह मुलाकात केवल एक धार्मिक संवाद नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना का संदेश है। वे चाहते हैं कि युवा पीढ़ी अपनी संस्कृति से जुड़े और परिवार की परंपराओं का सम्मान करे। उनका मानना है कि परिवार टूटेगा तो समाज भी कमजोर होगा।
इस मुलाकात ने एक बार फिर यह बहस छेड़ दी है कि आधुनिक जीवन शैली और परंपरागत मूल्य कैसे संतुलित किए जाएँ। कई लोग इसे एक आवश्यक संवाद मानते हैं जबकि कुछ इसे व्यक्तिगत अधिकारों पर हस्तक्षेप समझते हैं। लेकिन साध्वी प्रज्ञा का स्पष्ट कहना है कि किसी भी समाज की मजबूती उसके परिवार और सांस्कृतिक जड़ों से ही आती है।